निर्मल
ग्राम पुरस्कार
टीएससी के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने निर्मल ग्राम पुरस्कार की
शुरूआत की. एक नकद पुरस्कार के रूप में, यह पुरस्कार पूरी तरह कवर किए गए पंचायती
राज संस्थानों और उन व्यक्तियों तथा संस्थानों को मान्यता देता है जो अपने प्रचालन
क्षेत्र में संपूर्ण स्वच्छता कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करते हैं.
यह परियोजना जिले को एक इकाई के रूप में लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यान्वित
की गई है. निर्मल ग्राम पुरस्कार के मुख्य उद्देश्य हैं :
ग्रामीण
भारत में विकास के लिए सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिए
स्वच्छता लाना. खुले स्थान पर मल त्याग रिहत और स्वच्छ ग्रामों का विकास करना जो
अन्य लोगों के अनुकरण के लिए मॉडल के रूप में कार्य करेंगे.
पंचायती
राज संस्थानों को उनके द्वारा किए गए प्रयासों को स्थायी बनाने के लिए प्रोत्साहन
देना ताकि वे संपूर्ण स्वच्छता कवरेज के मार्ग से अपने भौगोलिक क्षेत्र में खुले
स्थान पर मल त्याग की प्रथा को पूरी तरह समाप्त कर सकें. सार्वभौमिक स्वच्छता
कवरेज प्राप्त करने में संगठनों द्वारा निभाई जाने वाली उत्प्रेरक की भूमि को
मान्यता देकर टीएससी कार्यान्वयन में सामाजिक प्रेरणा को बढ़ाना.
संपूर्ण
स्वच्छता अभियान
भारत सरकार का केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्र म 1986 में आरंभ हुआ. अब इसे
संपूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) में रूपांतरित किया गया है जो राज्यों और संघ
राज्य क्षेत्रों के विभिन्न जिलों में प्रचालित है. टीएससी द्वारा उन घरों को
निधिकरण के लिए सफलतापूर्वक प्रोत्साहन दिया गया है कि वे अपने घरों में शौचालय का
निर्माण कराएं और वंचित समूहों को इसके लिए वित्तिय प्रोत्साहन भी दिए गए हैं.
सरकारी निधि के साथ ग्रामीण सैनीटरी मार्ट और उत्पादन केन्द्रों का एक राष्ट्र
व्यापी नेटवर्कग्रामीण स्तर पर बनाया गया है, जबकि इन्हें प्राथमिक रूप से स्थानीय
शासन, गैर सरकारी संगठनों और समुदाय आधारित संगठनों द्वारा चलाया जाता है. ये
मार्ट और उत्पादन केन्द्र स्वच्छ शौचालयों और अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए
आवश्यक सामग्री प्रदान करते हैं. ये आउटलेट उन लोगों के लिए परामर्श केन्द्र के
रूप में भी कार्य करते हैं जो घरों में शौचालय का निर्माण कराने में दिलचस्पी रखते
हैं. इससे आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा मिला है, 138 मिलियन ग्रामीण घरों की
जरूरतें पूरी करते हुए स्वच्छता और सफाई को प्रोत्साहन दिया गया है.
सरकार
द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्र म के तीन दशकों से सीखे गए पाठों से सुझाव मिलता
है कि शौचालय रहित अधिक से अधिक घरों में पहुंचने के लिए सहायता देने हेतु
दूरदृष्टि नीति और एक सशक्त संस्थागत व्यवस्था होनी चाहिए. जबकि प्रगति हुई है,
पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और अन्य स्थानों के मॉडलों में दर्शाया गया है कि किस
प्रकार सूचित कार्यनीतियों, सशक्त जनभागीदारी और कठोर निगरानी के परिणामस्वरूप
अच्छे नतीजे मिले हैं. इस प्रकार, सरकार ने विभिन्न स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों
और समुदायों में स्वच्छता सुविधाओं के सुधार पर फोकस करने के प्रयास किए हैं.
टीएससी
एक सफलता कथा है और इससे पिछले कुछ वर्षो में हजारों गांवों में खुले स्थानों पर
मल त्याग की प्रथा (ओडीएफ) को समाप्त किया गया है. शहरी क्षेत्रों के लिए 2008 में
शहरों में स्वच्छता प्रावधानों में तेजी लाने के लिये राष्ट्रीय शहरी स्वच्छता
नीति (3.14 एमबी) आरंभ की गयी थी.
संपूर्ण
स्वच्छता अभियान (टीएससी) के लिए महत्वपूर्ण लिंक
टीएससी
की राज्यवार प्रगति रिपोर्ट "स्वच्छता
के लिए शौचालय का विकल्प नहीं "
स्वच्छता के लिए शौचालय का कोई विकल्प नहीं है. शौचालय का आकार-प्रकार कुछ भी हो
सकता है, लेकिन वह हर हाल में शौचालय ही होगा. सबसे बड़ी चूुनौती यह है कि खुले
में शौच के खिलाफ चल रहे अभियान से हर आदमी परिचित है. चाहे वह शहर का हो या गांव
का, लेकिन वह इससे व्यवहारिक रूप से जुड़ नहीं पा रहा. गांव और शहर दोनों
जगह इस तरह की समस्या है, जहां लोग खुले में शौच करते हैं. इससे निबटने कि लिए लिए
सरकार ने सूचना, शिक्षा और संचार का उपयोग करने की योजना बनायी है और उसे लागू भी
कर रही है. इनके तहत स्वच्छता के विषय में जागरूकता लाने और लोगों के व्यवहार में
परिवर्तन को प्रभावी बनाने में इन माध्यमों का उपायेग किया जा रहा है. लोगों को
शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन मिलता है. उन्हें यह भी बताया जा रहा है
कि खुले में शौच करना शर्म की बात है. महिलाओं के लिए तो यह और भी शर्म की बात है.
जो महिलाएं घर में पर्दा करती हैं. वही बाहर शौच के लिए बेपर्द होती हैं. खुले में
शौच का बुरा परिणाम खुद उन्हें भुगतना पड़र रहा है, जिससे वे बेखबर हैं. उन्हें यह
बताने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इस पर सरकारी धन खर्च हो रहे
हैं. गांव के घरों की दीवारों पर तसवीर और होर्डिंग के जरिये स्वच्छाता अभियान की
गतिविधियों की जानकारी दी जा रही है
संयुक्त
राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्य
विश्व की आबादी में 2.6 बिलियन लोग, 40 प्रतिशत लोगों के पास अब तक शौचालय नहीं है
और यही कारण है कि स्वच्छता संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्य के मुख्य
उद्देश्यों में से एक है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित सभी के लिए स्वच्छता :
2015 तक का अभियान का लक्ष्य राजनैतिक इच्छा को प्रेरित करना और पूरी दुनिया में
स्वच्छता सुविधाओं के विस्तार के लिए संसाधनों का संग्रह करना है.
विश्व
शौचालय दिवस
2001 में, डब्ल्यूटीओ द्वारा 19 नवम्बर को विश्व शौचालय दिवस (डब्ल्यूटीडी) घोषित
किया गया. विश्व शौचालय दिवस ने डब्ल्यूटीडी की शुरूआत 2.6 बिलियन लोगों के संघर्ष
के प्रति वैश्विक जागरूकता लाने के लिए की, जो उचित और स्वच्छ सुविधाओं तक पहुंच
नहीं रखते हैं.
डब्ल्यूटीडी
द्वारा अपर्याप्त स्वच्छता के परिणाम स्वरूप निर्धन व्यक्तियों को इसके स्वास्थ्य,
भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिणामों पर भी प्रकाश डाला जाता है. डब्ल्यूटीडी की
लोकप्रियता को गति मिल रही है और 2010 में 19 देशों में फैली स्वच्छता सुविधाओं के
लिए 51 कार्यक्र म आयोजित किये गये.
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