Tuesday 11 February 2014

युवा प्रोत्साहन की कई योजनाएं




मित्रों,
देश में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. देश को उसी तेजी से आगे बढ़ाने का भार उन्हीं युवाओं के कंधों पर है. सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, शारीरिक और भौगोलिक दृष्टि से युवाओं के सपने, चुनौती और संघर्ष भिन्न-भिन्न हैं. इन भिन्नताओं को ध्यान में रख कर उनके विकास की योजना बनाना सरकार की जवाबदेही है. इसेपूरा करने के लिए 1988 एवं 2003 में केंद्र सरकार ने युवा नीति बनायी. इन दोनों में कई खामियां रह गयीं. उनके निराकरण के लिए 2012 में नयी युवा नीति का समौदा तैयार किया गया. यह महसूस किया गया कि युवा विकास का कोई सूचकांक हमने अब तक विकसित नहीं है. इसके अभाव में युवाओं की परिस्थितियों और समस्याओं का तुलनात्मक विेषण संभव नहीं है. नयी युवा नीति में इसकी भरपूर वकालत की गयी. हम यहां इन्हीं विषयों की चर्चा कर रहे हैं
आरके नीरद
भारत सरकार का युवा कार्य विभाग देश के सभी वर्ग के युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल-कूद और नैतिक विकास के लिए योजना बनाता है और उसका संचालन करता है. इसमें स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और स्वयं सेवा संस्थाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित है. विभाग अपने अधीन संस्थागत योजनाएं भी चलाता है. यानी उसने ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जिनके संचालन के लिए अलग-अलग संस्था काम करती है. जैसे एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र आदि. विभाग करीब 12 ऐसी योजनाएं चला रहा है. इनमें पांच अन्य विभागों को भी जोड़ा गया है, जो युवाओं के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शिक्षा, महिला और बाल विकास, सामाजिक न्याय और युवाओं के अधिकार, श्रम और उनके रोजगार जैसे विषयों में मदद सकें. दरअसल युवा के दायरे में 13 साल से 35 साल तक की जनसंख्या है. इनमें महिला और पुरुष दोनों हैं. जाहिर है कि महिला एवं बाल कल्याण की योजनाओं से इनका सीधा संबंध है. पहले यह सामान्य धारणा थी कि ‘पढ़ोगे-लिखोंगे, तो बनोगे नवाब-खेलोगे-धुपोगे, तो बनोगे खराब.’ आज यह स्थिति नहीं है. खेल के क्षेत्र में शोहरत, इज्जत और पैसा तीनों  है. सरकार खिलाड़ियों के लिए आवासीय सुविधाएं दे रही है. विभाग कई तरह के पुरस्कार भी खिलाड़ियों को देता है. 
खेल के अलावा भी अवसर
केंद्रीय युवा कार्य विभाग के पास करीब 12 ऐसी योजनाएं हैं, जो युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रोत्साहन, प्रशिक्षण और सुविधा प्रदान करता है.  राष्ट्रीय सेवा योजना, नेहरू युवा केंद, राष्ट्रीय युवा कॉर्प्स, युवा और किशोरों के लिए राष्ट्रीय विकास कार्यक्र म, राजीव गांधी एडवेंचर स्कीम, स्काउटिंग एवं गाइडिंग की प्रोन्नति, यूथ हॉस्टल, इंटरनेशनल यूथ एक्सचेंज कार्यक्र म, यूथ क्लब, राष्ट्रीय युवा महोत्सव, कौशल विकास कार्यक्र म एवं कैरियर के अवसर इनमें खास हैं.
ग्रामीण जीवन से जुड़ी संस्थाएं
राष्ट्रीय सेवा योजना, नेहरू युवा केंद, राष्ट्रीय युवा कॉर्प्स, युवा और किशोरों के लिए राष्ट्रीय विकास कार्यक्र म और स्काउट एवं गाइड जैसी योजनाएं शहरों नहीं, गांवों की जरूरतों को देख कर ही तैयार की गयी थीं. आज भी इन योजनाओं की सोच युवाओं को ग्रामीण समस्याओं को दूर करने, आपदा की स्थिति में ग्रामीणों की मदद, उनके बीच स्वास्थ्य, चिकित्सा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वच्छता, पेयजल जैसे विषयों पर जागरूकता का प्रसार जैसे विषयों से जोड़ना है. इसलिए इनके कैंप गांवों में लगते हैं.

वहां कॉलेजों के और शहरों के लड़के-लड़कियों को रात ठहराया जाता है. गांव की जीवन शैली से नजदीक से अवगत कराया जाता है, ताकि वे राष्ट्रीय विकास के संदर्भ में वे गांवों की परिस्थितियों, अभावों, समस्याओं, संभावनाओं और चुनौतियों को जान-समझ सकें. नेहरू युवा केंद्र तो पूरी तरह ग्रामीण युवाओं में संगठनात्मक एवं नेतृत्व क्षमता के विकास से जुड़ा है. स्काड एंड गाइड वास्तव में गांवों की परिस्थितियोंे को ध्यान में रख कर किशोरों और युवाओं में सेवाभाव पैदा करने की केंद्रीय युवा कार्य विभाग की पहल है. यह किशोरों एवं युवाओं में आपदा प्रबंधन का व्यावहारिक ज्ञान देता था. आपात स्थिति में व्यक्तिगत और सामूहिक बचाव के उपाय बताता था. कैसे सुविधाविहीन स्थिति में भी विकल्प तैयार कर संकट से बचा जाए, यह गुर सिखाता था. उनके सामूहिकता और परोपकार की भावना विकसित करता था. इसके  लिए छोटे-छोटे उपायों और साधनों के इस्तेमाल का अभ्यास कराया जाता था. आज स्काडट एंड गाइड से किशोर और युवा लगभग कट गये हैं. इसकी भरपाई के लिए आपदा प्रबंधन के नये टूल तैयार किये जा रहे हैं. हालांकि  अब तक इसे पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा नहीं बनाया जा सकता है, जबकि यह समय की बड़ी मांग है.
केंद्रीय युवा नीति
भारत की जनगणना 2001 के अनुसार देश में युवा जनसंख्या 42.23 करोड़ है, जिसमें 21.9 करोड़ पुरुष और 20.3 करोड़ महिलाएं हैं. यह देश की कुल जनसंख्या के 41 प्रतिशत से अधिक है. 16-30 वर्ष आयु वर्ग में युवाओं की संख्या अधिक है.
भारत में आज से 25 साल पहले, 1988 में पहली राष्ट्रीय युवा नीति बनी. दूसरी बार 15 साल बाद, 2003 में युवा नीति बनायी गयी, लेकिन यह महसूस किया गया कि इसके बाद भी कई ऐसे विषय हैं, जिन पर काम करना जरूरी है. इसलिए 2012 में नयी राष्ट्रीय युवा नीति का मसौदा तैयार किया गया. सबसे अहम बात यह है कि अब तक देश में युवा विकास सूचकांक प्रणाली विकसित नहीं है.

इसलिए ऐसे युवाओं की पहचान की कोई व्यवस्था नहीं है, जो विकास की रफ्तार में पीछे छूट गये हैं या छूट रहे हैं. दूसरी बात कि एक सार सूचकांक नहीं होने के कारण भौगोलिक क्षेत्रों और वर्गों के बीच युवा विकास की तुलना संभव नहीं है. देश में मानव विकास सूचकांक है. इससे मानव विकास की क्षेत्र, लिंग, वर्ग और सामाजिक -आर्थिक स्थिति के आधार पर तुलना संभव है. इसका लाभ यह है कि जो क्षेत्र या वर्ग विकास की रफ्तार में पीछे छूट रहा है, उस पर विशेष ध्यान देने के लिए योजना बनाने में सुविधा हो रही है. उसे लेकर स्पष्ट दृष्टि बन रही है, लेकिन युवाओं के मामले में ऐसी सुविधा नहीं है. तीसरी बात कि जब तक तुलनात्मक विेषण वाले आंकड़े नहीं होंगे, तब तक सामान्य और विशिष्ट श्रेणी के युवाओं के लिए विकास संबंधी गतिविधि तय नहीं की जा सकती. यह युवा विकास सूचकांक के आंकड़ों से ही संभव है.
प्रस्तावित राष्ट्रीय युवा नीति का उद्देश्य
राष्ट्रीय युवा नीति के मसौदे में एक ऐसे युवा विकास सूचकांक का निर्माण करने की बात की गयी है, प्रत्येक क्षेत्र में युवाओं की स्थिति के चरणबद्ध आयामों की तुलना करने का अवसर दे, युवाओं के विकास और अधिकार को प्रभावित करती है. इसमें युवाओं के दृष्टिकोण को सम्मिलित का भी प्रावधान किया गया, जो उनके विकास और सशक्तीकरण को बल दे सके. साथ ही युवाओं के लिए नीति  बनाने वालों को आंकड़ा मुहैया कराना, जो उनके लिए कार्यक्रम बनाने में ठोस उपकरण यानी आधार के रूप में मदद कर सके.
कौन है युवा
राष्ट्रीय युवा नीति 2003 के मुताबिक 13-35 वर्ष के आयु वर्ग की जनसंख्या युवाओं की है. इस आयु वर्ग की पूरी जनसंख्या युवा है और राष्ट्रीय युवा नीति के तहत आती है. इसमें किशोर वर्ग भी शामिल होता है. इसलिए उसके हित में विशिष्ट सोच के लिए युवाओं को दो वर्गो में बांटा गया. पहला 13 से 19 साल और दूसरा 20 से 35 साल. इन दोनों आयु वर्गो को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया.
युवाओं की जनसंख्या और उसकी वृद्धि दर
1991 की जनसंख्या के मुताबिक देश में 34 करोड़ थी. 1997 में यह संख्या बढ़ कर 38 करोड़ हो गयी, जो उस समय की देश की कुल आबादी का लगभग 37 प्रतिशत थी. यह अनुमान किया गया कि 2016 में युवाओं की जनसंख्या बढ़ कर 51 करोड़ हो जायेगी, जो उस समय की कुल जनसंख्या का 40 प्रतिशत होगी, लेकिन 2001 की जनगणना के आधार पर जब देश के युवाओं यानी 13 से 35 आयु वर्ग की जनसंख्या का आंकड़ा तैयार किया गया, तो युवाओं की कुल जनसंख्या 42.23 करोड़ हो गयी, जो कुल आबादी का 41 प्रतिशत से ज्यादा है. इसमें 21.9 करोड़ पुरुष युवा और 20.3 करोड़ महिला युवा हैं.
जाहिर कि देश के सामाजिक-आर्थिक बदलाव और तकनीकी विकास में युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका है. यह देश का वह मानव संसाधन है, जिसे लेकर ठोस रणनीति और कार्यक्रम, सभी स्तर पर, बनाने की जरूरत है. गांव-पंचायत के युवाओं को लेकर विशिष्ट कार्यक्रमकी जरूरत है, जो उन्हें शिक्षा, तकनीकी और व्यावहारिक ज्ञान, रोजगार तथा स्वास्थ्य ज्ञान के क्षेत्र में आगे ले जा सके. चूंकि यह उत्पादक आयु वर्ग है. इसलिए इसकी सामाजिक-राजनीतिक सोच की सबसे अधिक अहमियत है. दिल्ली में आम आदमी पाटी के उदय के बाद गांव-पंचायत के युवाओं में राजनीतिक सोच तेजी से बदली है. दरअसल हमारी ग्रामीण जीवन शैली और उससे जुड़ी चुनौतियों का बड़ा हिस्सा रोटी, कपड़ा, मकान और स्वास्थ्य है. इसे हासिल करने में गांव-पंचायत के युवक ज्यादा परेशान हैं. इसलिए राजनीतिक बदलाव में अपनी सीधी भागीदारी को लेकर ज्यादा सोचने का उनके पास समय नहीं है. दूसरा कि एक राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें आरक्षण, धर्म, जाति और वर्ग के आधार पर इतने हिस्सों में बांट कर रखा गया कि वे उसी सोच में कैद होते रहे हैं. आजादी के बाद अविभाजित बिहार में अगर परिवर्तन को लेकर आंदोलन हुआ, तो वह 1974 का जेपी आंदोलन था. उस आंदोलन की चिनगारी अब भी समय की रख के नीचे बची हुई है. आम आदमी प्रकरण ने इसे हवा देने का काम किया है. गांव-पंचायत के युवाओं की सोच को बदलने का काम किया है. अब
यह बड़ा प्रश्न है कि बदलाव की यह आग किस दिशा में जाती है.
अभी झारखंड में करीब आधा दर्जन नये राजनीतिक दल उभर रहे हैं, जो आम आदमी और युवाओं की वकालत का दावा कर रहे हैं.  यह इस बात का साफ संकेत है कि आने वाला समय एक बार फिर युवा शक्ति के हाथ में होगा और उसमें आम आदम की भीड़ से निकले युवा राजनीतिक दिशा तय करेंगे.
राष्ट्रीय सेवा योजना
केंद्र सरकार के युवा कार्य एवं खेल मंत्रलय ने राष्ट्रीय सेवा योजना की शुरुआत की. इस योजना का मुख्य उद्देश्य छात्रों की सामाजिक चेतना को बढ़ाना है. इसके जरिये उन्हें सामाजिक क्षेत्र में स्वैच्छिक सेवा दान के लिए तैयार किया जाता है. खास कर ग्रामीण जीवन और समस्याओं को जानने-समझने के लिए उन्हें गांवों में कैंप करने कर रहने आ अवसर दिशा जाता है. सामाजिक सुधार के क्षेत्र में सरकार की योजनाओं से जनता को अवगत कराने और उनके बीच जागरूकता का प्रसार भी इसका हिस्सा है. राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके कैंप लगते हैं, जिनके जरिये देश के अलग-अलग राज्यों और हिस्सों की सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं के ज्ञान और समझ का आदान-प्रदान होता है. इसके तहत जो महत्वपूर्ण गतिविधि संचालित होती है, उनमें हैं :
पर्यावरण : पौधारोपण,  स्वच्छता अभियान, प्लास्टिक हटाओ अभियान जैसे विषयों पर संगोष्ठी का आयोजन, दीवार लेखन, रैली और  आदि का आयोजन किया जाता है. स्वयं सेवक खुद भी पौधे लगाते हैं और स्वच्छता के महत्व का संदेश देने के लिए गंदी बस्तियों में जागर सफाई अभियान चलाते हैं. स्वयं सेवक अविकसित और पिछड़े गांवों को एक निश्चित समय के लिए गोद लेते हैं और वहां स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और स्वच्छता जैसे विषयों पर बुनियादी जरूरतों को जुटाने में ग्रामीणों की मदद करते हैं.
साक्षरता : प्रौढ़ और अनौपचारिक शिक्षा में भी एनएसएस के स्वयं सेवक हिस्सेदारी निभाते हैं. इसके लिए उन्हें चुने गये गांव में असाक्षरों के बीच अक्षर ज्ञान देने के लिए समय देना होता है.
स्वास्थ्य एवं एड्स : स्वास्थ्य जागरूकता और एड्स के  बचाव के उपायों को लेकर एनएसएस गांवों में और खास कर युवाओं के बीच अभियान चलाते हैं. चौपाल, संगोष्ठी, कार्यशाला आदि के जरिये लोगों को यह बताते हैं कि सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं क्या-क्या हैं और उनका लाभ निश्चित रूप से हर व्यक्ति को लेना चाहिए. इसमें कोताही बरतने का अंजाम गंभीर हो सकता है. उन्हें एड्स से बचने के उपाय बताते हैं और उसे अपनाने के लिए प्रेरित करते  हैं.
स्वयं सेवकों के शिविर : एनएसएस के स्वयं सेवकों का शिविर भी लगता है, जिसमें नुक्कड़ नाटक, गीत-संगीत, क्विज, अल्पना प्रतियोगिता आदि के जरिये समूह के सदस्यों में एकजुटता की भावना विकसित की जाती है तथा सामाजिक मुद्दों पर लोगों को संदेश दिया जाता है. यह शिविर एक दिन का भी होता है और एक सप्ताह का भी. यह एपएसएस के प्रोगाम पदाधिकारी और विश्वविद्यालय के एनएसएस कोऑर्डिनेटर तय करते  हैं.
प्रमुख कार्य : इसके तहत मोटे तौर पर सात प्रकार के कार्यक्रम चलते हैं. इसमें राष्ट्रीय एकता शिविर, टीकाकरण, साहसिक कार्यक्रम, श्रमदान, रक्तदान, वृक्षारोपण और आपदा प्रबंधन विषय शामिल हैं.
स्काउट एंड गाइड
स्काउट एंड गाइड पूरी  गैर राजनीतिक संगठन है. यह मूलत: गांवों के लिए है. इसका उद्देश्य युवाओं को एक जिम्मेदार नागरिक बनाना और समाज व राष्ट्र सेवा का भाव उनमें पैदा करना है. इस संगठन का अदर्श वाक्य है -आदर्श बनो, तैयार रहो. देश भर में इसके करीब साढ़े तीन लाख सदस्य हैं.

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