Thursday 30 January 2014

हर क्षेत्र में केंद्र सरकार की योजनाएं



मित्रों,
केंद्र सरकार करीब 35 योजनाएं चला रही है. ज्यादातर योजनाओं में केंद्र सरकार की 75 से 100 फीसदी वित्तीय हिस्सेदारी है. यानी योजना पर इतनी राशि केंद्र सरकार खर्च करती है. जिन योजनाओं में केंद्र का सौ फीसदी खर्च नहीं है, वहां शेष राशि राज्य सरकार लगाती है. इसका स्पष्ट फॉमरूला है -स्पष्ट नीति . इसे केंद्र और राज्य सरकार की सहमति मिली हुई है.

योजना केंद्र सरकार की हो या राज्य सरकार की, उनका कार्यान्वयन राज्य सरकारों को अपनी मशीनरी के जरिये  कराना है. इनमें से कई योजनाओं के कार्यान्वयन में निजी क्षेत्र को भागीदार बनाये जाने का प्रावधान है और इसकी मदद राज्य सरकार ले भी रही है. इन सभी योजनाओं का लाभ राज्य की जनता को मिलना है. ऐसी योजनाएं, जो केवल शहरी क्षेत्र के लिए हैं, को छोड़ कर बाकी सभी योजनाओं का लाभुक वर्ग हमारी गांव-पंचायतों का है.

उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि केंद्र सरकार उनके लिए किस-किस तरह की योजनाएं चला रही है? उन योजनाओं की पृष्ठभूमि और लक्ष्य क्या है? इस कल्याणकारी लोकतांत्रिक देश में मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण, महत्वाकांक्षी और सशक्त योजना भी है, जिस पर सकल घरेलू उत्पादन का करीब 5} धन खर्च होता है. आखिर ऐसी योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ लोगों को क्यों नहीं मिल पाता? ऐसे सवालों का जवाब तलाशने के लिए विशेषज्ञों की समीक्षा और अध्ययन रिपोर्ट के अलावा सबसे ठोस आधार है उन तथ्यों और आंकड़ों की वास्तविकता को ग्रास रूट पर जानना, जिसे सरकारी तंत्र अपने हिसाब से देश के सामने रखता है. इसके लिए उन योजनाओं के बारे में जानकारी जरूरी है, ताकि तथ्यों और आंकड़ों की वास्तविकता का पता लगाने के लिए आरटीआइ (सूचना का अधिकार) का भी इस्तेमाल किया जा सके. हम इस अंक में केंद्र सरकार की वैसी योजनाओं की चर्चा कर रहे हैं.
आरके नीरद
इंदिरा आवास योजना
इंदिरा आवास योजना केंद्र प्रायोजित आवास निर्माण योजना है. इस योजना में 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 25 राशि राज्य सरकार देती है. उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए केंद्र-राज्य वित्त अनुपात 90:10 है. यानी वहां 90 प्रतिशत राशि केंद्र देती है और राज्य सरकार को केवल 10 प्रतिशत राशि लगानी होती है. संघ शासित प्रदेशों के लिए यह योजना 100} केंद्र प्रायोजित है. यानी पूरी राशि केंद्र सरकार देती है. 1985-86 से चल रही इस योजना का पुनर्गठन 1999-2000 में किया गया था, जिसके अंतर्गत गांवों में गरीबों के लिए मुफ्त में मकानों का निर्माण किया जाता है. वर्तमान में ग्रामीण परिवारों को मकान निर्माण के लिए  45 हजार की धनराशि दी जाती है.     
संकटग्रस्त क्षेत्रों में यह राशि 45.5 हजार नियत की गयी है.  योजना केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों के लिए है. भारत निर्माण के अंतर्गत चल रही इंदिरा आवास योजना पर हर साल करीब 12-13 हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इस योजना का मकसद हर बेघर और गरीब परिवार को अपना घर उपलब्ध कराना है. केंद्र सरकार की यह योजना जितनी लोकप्रिय है, इसके कार्यान्वयन में अनियमितता और गड़बड़ियों की उतनी ही शिकायतें भी हैं.
जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना सुरक्षित प्रसव से जुड़ी योजना है. इसके तहत संपर्क कार्यकर्ता द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में प्रसव की व्यवस्था करना आवश्यक है. इससे गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच और प्रसव के बाद देखभाल और निगरानी करने में सहायता मिलती है.
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य के लिए काम करती हैं. इसे संक्षेप में आशा नाम दिया गया है. ‘आशा’ एक्रिडिएटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) का संक्षिप्त रूप है. यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय द्वारा प्रायोजित जननी सुरक्षा योजना से जुड़ी ग्रामीण स्तर की महिला कार्यकर्ता है. इसका काम स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के जरिये गरीब महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराना है. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानी एनआरएचएम योजना आशा के माध्यम से ही चलायी जा रही है. यह योजना 2005 में शुरू की गयी. इस योजना का लक्ष्य 2012 तक पूरी तरह क्रि यान्वित किया जाना था. देश के प्रत्येक गांव में एक आशा की नियुक्ति जरूर सरकार ने महसूस की है. जनवरी 2013 के आंकड़ों के अनुसार भारत में आशा कर्मियों की कुल संख्या 863506 है. इसे सेवा के बदले मानदेय और प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है.
राजीव गांधी किशोरी सशक्तीकरण योजना
राजीव गांधी किशोरी सशक्तीकरण योजना, जिसे सबला भी कहा जाता है, केंद्र सरकार द्बारा वर्ष 2010 में 11 से 18 वर्ष की किशोरियों के  के लिए शुरू की गयी.  शुरू में यह देश के 200 पिछड़े जिलों में लागू की गयी थी. यही योजना महिला और बाल  विकास मंत्रलय (भारत) के सौजन्य से 1 अप्रैल 2011 से सबला नाम से पूरे देश में लागू की गयी. इस योजना का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है.  इसके अंतर्गत 11 से 18 साल तक की किशोरियों में पोषण, प्रशिक्षण एवं जागरु कता को बढ़ावा दिया जाता है. किशोरियों को आयरन और प्रोटीन की गोलियां एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्व दिये जाते हैं. योजना के तहत 11 से 14 साल की बच्चियों के लिए मध्याह्न् भोजन योजना द्वारा एवं 15 से 18 साल की किशोरियों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा लाभ दिया जाता है.
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानी एनआरएचएम देश के  ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए है. इसका लक्ष्य स्वस्थ भारत का निर्माण करना है. यह योजना 12 अप्रैल 2005 को शुरू की गयी. यह कार्यक्र म स्वास्थ्य मंत्रलय द्वारा चलाया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा में केंद्र सरकार की यह एक प्रमुख योजना है.  यह ग्रामीण क्षेत्रों में सुगमता से उपलब्ध होने वाली, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवायें मुहैया कराने के लिए चलायी जा रही है. इसके तहत विभिन्न स्तरों पर चल रही लोक स्वास्थ्य की सेवाओं को एक स्थान पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करना है. जैसे, प्रजनन बाल स्वास्थ्य परियोजना, एकीकृत रोग निगरानी, मलेरिया, कालाजार, तपेदिक तथा कुष्ठ आदि. इसमें शिशु मृत्युदर में कम करने के उपाय शामिल हैं. इस योजना के क्रि यान्वयन में लगीं प्रशिक्षित आशा की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है. लगभग प्रति 1000 ग्रामीण जनसंख्या पर एक आशा कार्यरत है. पिछले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 18114 करोड़ रुपये आवंठित किये थे.    
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन
देश में साक्षरता की दर बढ़ाने और सभी वर्ग में अक्षर ज्ञान के प्रसार के लिए पांच मई 1988 में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना की गयी थी. तब इसका उद्देश्य 2007 तक 15 से 35 आयु वर्ग के महिला और पुरुषों को  व्यावहारिक साक्षरता प्रदान करना और साक्षरता की दर को 75 प्रतिशत तक पहुंचाना था. 2009 में इसकी संरचना में बदलाव के साथ इसे फिर से लागू किया गया. अभी यह योजना बिहार-झारखंड सहित अन्य जिलों में चल रही है, जिस पर हम कुछ अंक पहले विस्तार से चर्चा कर चुके हैं.
बालबंधु योजना
केंद्र सरकार ने आतंकवाद, अलगाववाद तथा नक्सलवाद से प्रभावित बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की सुविधा देने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है. इस योजना पर खर्च होने वाली पूरी राशि प्रधानमंत्री राहत कोष से दी जाती है.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण वर्ष 2009 में गठित किया गया था. यह भारत सरकार का प्राधिकरण है. इसे विशिष्ट पहचान पत्र के निर्माण से संबंधित सभी पहलुओं पर काम करना है. इसके पहले अध्यक्ष नंदन निलेकणी हैं. इस प्राधिकरण को एक डाटाबेस तैयार करना है और देश के प्रत्येक नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या आवंटित करनी है. इस नंबर के आधार पर उस नागरिक की पूरी जानकारी सरकार के पास  होगी.
वाल्मीकि आंबेडकर मलिन बस्ती आवास योजना
वाल्मीकि अम्बेडकर मलिन बस्ती आवास योजना का संक्षिप्त नाम  वाम्बे है. इस योजना शुरु आत दिसंबर 2001 में की गयी थी. यह योजना मलिन बस्तियों में रहने वालों के लिए है. इसके तहत उनके लिए घरों के निर्माण और उनका उन्नयन को सरल बनाया जाता है. वाम्बे का एक घटक कार्यक्रम निर्मल भारत अभियान के तहत संचालित है, जिसमें सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया जाना है. इस योजना के कार्यान्वयन में केंद्र सरकार 50 प्रतिशत सिब्सडी देती है. शेष 50 प्रतिशत की व्यवस्था राज्य सरकार करती है.

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