Thursday 9 January 2014

राहुल गांधी : भारत की पुनर्खोज



सदियों से विरासतों के अस्तित्व और परम्पराओं की साख पर दुविधाओं, बिलगावों, बुराईयों, को कुचलकर एकता की हिफाजत करता हुवा, रिश्तों के फरेब पर भरोसे की स्थापना करता, दूर जा बस चुके अपनों के एकजुट होने की ललक है भारत का लोकपथ। आजादी के पहले से और आजादी के बाद भारत ने दिन-रात के सपने को संजोया है। भूखे-नंगे पैरों के भारत ने आज तरक्की के नए मापदंड वाले मुहाने पर खड़ा सम्मान के साथ जीना सीख लिया है। ऐसे में सदियों की थाती बटोर, भारत की एक-एक आबादी को समेटकर मेहनत की कलम, पसीने की स्याही और ईमान के पन्नों पर सदियों से लिखी जाती रोटी और कलम के सपनों का साम्राज्य निर्माण करना है। दुनिया जहां आज हिंदुस्तान की औऱ अपने अंधेरों का सूर्योदय पाने की आशा में मुड़ने लगी है, वहीं देखते देखते भारत विश्वशक्ति हो चला है। ऐसे समय के इतिहास बन रहे इस मोड़ पर हम समय का वह दस्तावेज हैं, जिनपर कल, आज और कल को वर्त्तमान बनाकर हिंदुस्तान को खड़ा होना है। हमारे पीछे एक महान विरासत है। एक ऐसी बुनियाद जिसने भारत को आजाद कराया। एक ऐसी परम्परा जिसने एक प्राचीन सभ्यता के बीच एक आधुनिक देश भारत का निर्माण किया। एक ऐसी निष्टा जिसने बीसवीं शताब्दी को कांग्रेस की शताब्दी बनाया और इक्कीसवीं शताब्दी भी तो कांग्रेस की ही शताब्दी की और अग्रसर है। बीसवीं सदी के पहले आधे हिस्से में कांग्रेस के ही अथक संघर्ष और युवाओं के असीम त्याग की वजह से दुनिया के सबसे ताकतवर साम्राज्य से आजादी मिली और उगने वाला सूरज भी उगा, और अब यह भी कांग्रेस ही थी जिसने शताब्दी के दूसरे हिस्से में आजाद भारत को आधुनिकतम सम्प्रभुता संपन्न संघीय गणराज्य बनाया। राजनीति; जिसकी प्राथमिकता भटक चुकी है। जनमानस आधारभूत सुविधाओं को बड़ी शिद्दत से मुहैया करा पाता है। रोजमर्रा के भूख का भयावह साम्राज्य फ़ैल चुका है। बेरोजगारी, चरमसीमा में है। भ्रष्टाचार से समाज पीड़ित है। अवाम नुक्सान अधिक, फायदा कम की बुनियाद पर जिंदगी जीने को मजबूर है। यह नयी शुरुवात का समय है। नए संकल्प का समय है। एक ऐसा समय जब हमें युवाओं को उसका पुराना गौरव वापस लाने, राष्ट्रीय क्षितिज में अपनी प्रमुखता स्थापित करने की शपथ लेनी है। चुनौतियां अनेक है, और बहुत बड़ी हैं। बिना विचलित हुवे उनका मुकाबला करना है। हमारे समाज के कमजोर लोग बराबरी चाहते हैं,मेहबानी नहीं। समय के इन्ही पद-चिन्हों पर जनादेश 2014 की ओर सभी राजनीतिक दलों के साथ भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस के बढ़ चुके कदम राहुल गांधी की प्रयोगशाला से होकर गुजरता है। श्री राहुल गांधी पुरुखों के त्याग, बलिदान की विरासत पर भविष्य की योजनाओं की बुनियाद रख रहे हैं। बुनियादी हालातों से वाकिफ होने और अपने संगठन को आत्मसात करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा है। पहले सांसद बनकर उन्होंने जमीनी राजनीति की नब्ज टटोला और फिर उपाध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने संगठन को समझा। देश के आम आदमी के जीवन शैली में सुधार, राष्ट्रीय एकता, जातीय सद्भावना, शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के मूलमंत्र वाले राहुल गांधी जिनके शब्द अवाम के लिए बने। जिसकी हर सांस अवाम के लिए चली। शांत और आक्रामक दोनों लहजों वाले राहुल गांधी को भविष्य की जरूरत के रूप में देखा जा रहा है। आम आदमी के आँगन में राहुल गांधी का लोकतंत्र पोषित होता है। आम आदमी के सम्मान के प्रति संवेदनशील राहुल गांधी पर देश भरोसे की स्थापना करना चाहता है। अवाम की खुशहाली के साथ हर हाँथ को काम, इंसान को सम्मान की प्राथमिकता वाले राहुल गांधी देश की नब्ज हैं। देश के सबसे पुराने पहले राजनीतिक परिवार से संबंधित होने की वजह से उनके अनुभव पर शक करना पूर्णतया बेमानी है क्योंकि पृष्ठभूमि अपने आप में अनुभव प्रदान करती है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मनरेगा, सूचना का अधिकार, आदिवासी सशक्तिकरण, कृषि ऋण माफी, पारदर्शिता, विकास, शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा की उपलब्धियों में राहुल गांधी की संवेदनशील भूमिका महत्वपूर्ण है। जवाहर लाल नेहरू द्वाराभारत की खोजके लोकतान्त्रिक विरासत में राहुल गांधी भारत की पुनर्खोज की कार्यशाला हैं।

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